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एल ई डी क्या है। तथा यह कम विद्युत खर्च में काम करती है। What is L. E. D.?and how do it work in few loss electricity? आइए जानते हैं। let.'s know.

एल ई डी क्या है। तथा यह कम विद्युत खर्च में काम करती है। What is L. E. D.?and how do it work in few loss electricity?  आइए जानते हैं। let.'s know.  पुराने जमाने में  घरों में अधिकांशतः उजाला करने के लिए  बल्व का प्रयोग किया जाता था। जिसका विद्युत खर्च अधिक आता था। परन्तु आजकल इसकी जगह एल ई डी ने ले ली है। जिसका  विद्युत खर्च भी बहुत कम है। आइए जानते हैं कि यह क्या है।  इसके लिए निम्न पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है।  सेमीकंडक्टर(अर्धचालक) -  यह वे पदार्थ होते हैं जो ताप की मात्रा पर निर्भर करता है कि  विद्युत का चालक है कि नही है। अर्थात कम तापमान में विद्युत के अचानक तथा अधिक तापमान में संचालक होते हैं।  सेमीकंडक्टर(अर्धचालक)  होने का कारण- इन तत्वों की आणविक संरचना मे या तो एक इलेक्ट्रॉन कम होना या एक इलेक्ट्रॉन अधिक होने के कारण इनका आबंध मजबूत पाया जाता है, जिसके कारण इलेक्ट्रान मुक्त नहीं हो सकता है। अतः इलेक्ट्रॉन मुक्त करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त ऊर्जा देनी होती है। तथा यही कारण है कि अधिक तापमान पर यह वि...

How do electricity generator work?how to make a small electricity generator?

विद्युत जेनरेटर कैसे कार्य करता है, तथा प्रयोगात्मक एक छोटा जेनरेटर कैसे  बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं।  विद्युत जेनरेटर एक ऐसा उपकरण है, जो कि अन्य ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा लेकर विद्युत ऊर्जा मे परिवर्तित करता है।   इसके  कार्य करने की क्रियाविधी- दो या अधिक चुंबक या चुंबकीय क्षेत्र के मध्य में एक चालक  कुंडली अथवा अधिक कुंडली की व्यवस्था को घूर्णित किया  जाता है। जिसके कारण कुंडली के चारों ओर परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।परिणामस्वरूप कुंडली में विद्युत  धारा उत्पन्न होती है। कुंडली को घूर्णन गति देने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकती है, जैसे किसी इंजन में व्यवस्थित किया जा सकता है।  जैसे की चित्र में दिखाई दे रहा है,  कि जेनरेटर दाएं भाग में  है, तथा बाएं भाग में इंजन के साथ घुर्णन की व्यवस्था की गई है।  जेनरेटर का कार्यसिद्धांत -  1.लेंज का नियम  विद्युत चु. प्रेरण की घटना में प्रेरित धारा की दिशा ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिस कारण से उसकी उत्पत्ति हुई है।...

बिजली कैसे बनती है। जाने

आमतौर पर देखा जा सकता है कि, मन मे यही सवाल रहता है कि बिजली (विद्युत) कैसे बनती है। ईंधन को कैसे बिजली मे बदला जाता है। ऊर्जा का रूप परिवर्तन विद्युत भी ऊर्जा है, और ईंधन भी रासायनिक ऊर्जा का स्रोत है। यही रासायनिक ऊर्जा ही विद्युत ऊर्जा मे परिवर्तित की जाती है।  जो कि एकाधिक रूप में की जाती है।  प्रथम चरण में रासायनिक ऊर्जा को गतिज या यांत्रिक ऊर्जा मे परिवर्तित किया जाता है। जिसके लिये आमतौर पर भाप के ईंजन प्रयोग किया जाता है।  चुंबकीय प्रभावो का  कार्य  चुंबक के दोनों  ध्रुवों को अनन्त चुंबकीय रेखाएं प्रवाहित होती है। जिनका प्रवाह क्षेत्र होता है, जिसकी तीव्रता ध्रुवो पर अधिक होती है। फलक्स (चुंबकीय रेखाओं) में परिवर्तन का प्रभाव  जब चालक तारो की कुंडली के निकट परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र (फलक्स) आता है, अर्थात चुंबकीय रेखाओं की तीव्रता में  निरन्तर कमी तथा तीव्रता का परिवर्तन किया जाता है। तो कुंडली में आवेश प्रेरित होते हैं, अथवा चुंबकीय रेखाओं की गति से  प्रेरित आवेश गति करता है।  इसे भी पढें। https:/...

आइए विद्युत को जाने

 आइए जानते है की विद्युत क्या है- आवेश प्रवाह की दर विद्युत होती है। लेकिन जानने की बात यह है कि आवेश क्या है, और ऐसा क्या है कि एक धातु के स्पर्श से हमारे उपकरण कार्य करने लगे जाता है। आइए विस्तार से जाने।। ऊर्जा  - ऊर्जा  न कभी नष्ट नही होती है और न ही उत्पादन की जाती है,  विद्युत भी एक प्रकार की ऊर्जा होती है, जो कि अन्य ऊर्जा का ही परिवर्तित रूप है। जो कि अन्य रूपों में परिवर्तन करने पर कार्य का परिणाम देती है।  आवेश -  किसी कण या निकाय का गुण जिसके कारण विद्युत क्षेत्र बनता है,   इलेक्ट्रॉन पर ऋणावेश प्रोटोन पर धनावेश होता है। इन्हीं आवेशित कणों की रासायनिक ऊर्जा  विद्युत आपूर्ति के लिए उपयोग की जाती है।